Sunday, December 27, 2009

राह में चलते हुए पार्ट ४

आगे चलते हुए मुझे एक बहोत बुढा आदमी मिला जो बहोत ही झख्मी था ।
चहरे पे एक अनोखा तेज था । और आस पास कुछ प्रकाश जो कही और देख ने को नहीं मिला
मेने पूछा बाबा आप कौन हो । उन्होंने कहा में धर्म हू । मेने पूछा कौन सा धर्म बाबा हिन्दू मुस्लिम
उन्होंने बड़े शांती से उत्तर दीया । वो सब तो तुम लोगो ने बनाया है । ये मेरे शरिर पर जो घाव है वो वही है ।
और ये सिर्फ हिन्दू मुश्लिम का नहीं है । दुनिया भर में मेरा ये हाल है ।
में था सिर्फ एक । लोगो ने मेरे टुकड़े कर कर के । मेरा ये हाल कर दीया । और टुकडो में भी सब कहते एक ही बात है । जो में जब से हू तब कही गयी थी । इंसानियत , दया , और लोगो के प्रति प्यार लेकिन अफ़सोस
पूरी दुनिया में झगडे अब सिर्फ मेरे नाम से ही शुरू होते है । पिछले कई सालो से । मेरे टुकड़े कर कर के । जिस ने भी नया धर्म बनाया । उसने मेरे पुराने अंश खर्तम करने की कोशीष की
ये बात सिर्फ हिंदुस्तान तक की नहीं है । कई १००० सालो से यही होता आ रहा है ।
सब से ज्यादा जान मेरी नाम पे गयी है । और कुछ मेरे ठेकेदार बने लोग । करोडो लोगो को जब ऐसे ठग ते है । मुझे सब से ज्यादा दुःख होता है । मेरे नाम पे लोग एक दुसरे को मारते है ।
और रोज आये दीन नए नए पंथ मेरी नयी परिभ्षा लिख के आ जाते है ।
अब तो में सच में क्या हू वो भी में भूल चूका हू । इतनी मेरी व्याख्या बदल गयी है ।
मेने पूछा बाबा में क्या कर सकता हू । उन्होंने कहा बेटा । बस तू इंसानियत के धर्म में मानता रह ।
और जितनो तक हो सके ये संदेश पहोंचा ॥ के इंसानियत के आगे और कोई धर्म नहीं है ।
हर भगवान खुदा। या इशु सब एक ही बात कहते आये है ।
उसके आगे और कोई धर्म नहीं है
सुखी रहो
और बाबा ने मुझसे कहा बेटा आगे जा और तुजे बहोत कुछ मिलेगा ... और में उन्हें प्रणाम कर के आगे की और चल पड़ा

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