Sunday, December 27, 2009

राह में चलते हुए

आगे चलते मुझे एक सख्स मिला एक दम लम्बा पहेलवान लेकिन एक दम जेसे कीचड़ से बहार आया हो और हर जगह गन्दा सा ॥ कलित लगी हुयी और सफ़ेद कपडे जो एक दम गंदे हो चुके थे बस कुछ भाग से मालूम पड़ता था के सफ़ेद कपडे थे । में पहले तो दर गया ॥ लेकिन देखा कही पे चोट iनहीं थी

सिर्फ गन्दगी से भरा था देख के डरलग रहा था । लेकिन फिर भी बात की
तो उसने बताया वो राजनीति है । मेने कहा किस देश के हो उसने कहा राजनीति किसी एक देश का नहीं सारे देश मेरे अपने है मेने पूछा इतनी गन्दी हालत में क्यों हो फिर । उसने कहा । मेरे अखाड़े में उतरे लोगो ने ये हालत कर दी है । और रोज और गन्दा किये जा रहे है । मेंने पूछा आप अपने आप को साफ़ क्यों नहीं करते उसने कहा अब जो भी राज्करिणी लोग है वो नहीं चाहते में साफ़ हो जाऊं मेने कहा में साफ़ कर दू उसने कहा । तू अकेला कुछ नहीं कर सकता । और तेरे जेसे लोग भी कुछ नहीं कर सकते तुम सब लोग दूर से तमासा देखो
केसे ये लोग और गन्दा करते है । और अछे लोग जो साफ़ करना चाहते है उन्हें ये लोग रहने नहीं देते
मेने पूछा तो कभी आप साफ़ नहीं होंगे
उसने कहा एक समय आएगा लेकिन अभी नाझ्दिक में तो कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही ये जो कुछ सफ़ेद भाग दिख रहा है कपड़ो पे वो १ या दो अच्छे आदमी ओ की वजह से है । जो भी बहोत जल्द चले जायेंगे
फिर उसने कहा तुम भी आगे जाओ । यहाँ किसी ने देख लिया मेरे साथ तो तुम्हे भी । परेशां कर देंगे
और में आगे चला आया
इस बार मुझे ॥ कुछ इतना ख़राब नहीं लगा । जितना भारत को मिल के लगा था
अब आगे बढ़ते में कई और लोगो से मिला ॥ वो अगले नोट में

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