आज विश्व मातृभाषा दीन है । एक हिन्दुस्तानी होने के नाते मेरी मातृभाषा हिंदी है । गुजरात में जन्म लेने के कारन मेरी मातृभाषा गुजरती भी है । और में अंग्रेजी भाषा भी जानता हू यही । हमारे भारत देश का गौरव है । में किसी से ये नहीं कहूँगा आओ हमारी मातृभाषा को बचाओ । क्यों की ये बात अन्दर से उठने वाली है
बस आप अपने आप पे गर्व करो अपनी मातृभाषा पे गर्व करो और जो कुछ कर पाओ इस के लिए करो ।
सब से बड़ा आदर अपनी भाषा के लिए अपने लेखको का सन्मान उनकी लिखी हुई बाते पढ़ के होगा
बस खुद पढ़िए और लोगो को पढाई में रूचि लाये हर भाषा इसी से आगे आ जाएगी आप की मातृभाषा चाहे कोई भी हो । जय हिंद
Saturday, February 20, 2010
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"आप हिंदी में लिखते हैं। अच्छा लगता है। मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं, इस निवेदन के साथ कि नए लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है। एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।"
ReplyDeleteसुन्दर विचार है आपके । स्वागत है आपका ।
ReplyDeleteगुलमोहर का फूल
Anek shubhkamnayen!
ReplyDeleteswagat hai...
ReplyDeleteकली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
ReplyDeleteधरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
कलम के पुजारी अगर सो गये तो
ये धन के पुजारी
वतन बेंच देगें।
हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . नीचे लिंक दिए गये हैं . http://www.janokti.com/ , साथ हीं जनोक्ति द्वारा संचालित एग्रीगेटर " ब्लॉग समाचार " से भी अपने ब्लॉग को अवश्य जोड़ें .
इस नए चिट्ठे के साथ आपको हिंदी चिट्ठा जगत में आपको देखकर खुशी हुई .. सफलता के लिए बहुत शुभकामनाएं !!
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